आज का हमारा समाज
इक्कसवीं सदी में दिन पर दिन उन्नति कि ओर अग्रसर हो रहा है, रोज विज्ञान नयी नयी
खोज कर रहा है,चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में भी बराबर उन्नति हो रही है, रोज
नयी और जटिल बीमारियों के इलाज के लिए वैज्ञानिक नयी नयी खोज कर दवाओं को हम तक
उपलब्ध करा रहे हैं | लेकिन क्या कभी आपने ये गौर किया है कि विज्ञान के इतनी
उन्नति करने के बावजूद भी वो कुछ बीमारियों को रोकने में असमर्थ हो रहा है जैसे
रक्त चाप, थाइरोइड, मधुमेह, कैंसर, विभिन्न प्रकार के त्वचा के रोग, नपुंसकता,
बाँझपन, असमय बालों का झड़ना तथा सफ़ेद होना, इत्यादि ऐसे कई रोगों कि लम्बी सूचि है
| ये सारी बीमारियाँ आज कल हर दुसरे व्यक्ति में देखने को मिल रही है इसका एक बहुत
बड़ा कारण हम स्वयं भी हैं |
हमारा शरीर ईश्वर की बनाई
एक बेशकीमती मशीनरी है और ये हमारा ही दायित्व होता है कि हम इसे स्वस्थ रखें| जैसे
जैसे हम आधुनिकरण के युग में प्रवेश करते जा रहे हैं वैसे वैसे इन बीमारियों में
भी इजाफा होता जा रहा है | एक सर्वे के मुताबिक पता चला है कि अमरीका में लगभग ८०%
जनसँख्या नींद की गोलियां खाए बगैर नहीं सो पाती है | हम आधुनिक जगत में इस कदर खो
चुके हैं कि हमे अपने शरीर और स्वास्थ्य के बारे में सोचने के लिए समय ही नहीं है
|
हम जब कुछ पीछे जा के
अपने पौराणिक समय के बारे में जब गौर करते हैं तो हमे पता चलता है कि ये सारी
बीमारियाँ उस समय नहीं थीं उसका सबसे बड़ा कारण था उस समय कि जीवन शैली, सात्विक
जीवन |
आयुर्वेद के अनुसार
स्वस्थ शरीर के लिए उपाय –
1.
आहार – आपके शरीर
के लिए
2.
विहार
3.
विचार – आपके
मस्तिष्क का भोजन
आहार – दिन में तीन बार
भोजन करें | अनाज, हरी सब्जियां, फल, सलाद, दूध सही अनुपात में, मात्रा में कम से
कम, जितना शरीर की आवश्यकता है और जितना पच जाये |
विहार – शारीरिक श्रम,
और निद्रा का सही अनुपात हो, शारीरिक साफ़ सफाई का ध्यान |
विचार – सबसे अधिक
आवश्यक है कि गलत विचारों से बचें | विचार ही हमारी भूख, नींद, और प्यास को
नियंत्रित करते हैं | हमारा मष्तिष्क ही हमारे पुरे शरीर को नियंत्रित करता है |
अगर इसे अच्छे विचार ( positive signal ) दिए जायेंगे तो
शरीर में Good Hormone का स्तर बढ़
जायेगा और शरीर का हर अंग सुचारू रूप से काम करेगा | दूषित विचार ( negative signal ) शरीर में Stress Hormones के स्तर को बढ़ा देते हैं
जिससे शरीर का हर अंग गडबड तरीके से काम करने लगता है |
एक बहुत पुरानी कहावत जो
की आप सभी ने सुनी होगी “मन तंदरुस्त तो तन तंदरुस्त “, ये बहुत सटीक कहावत
है जो इस बात कि पुष्टि करती है कि हमारी सोच ही ये निर्धारित करती है कि हम
स्वस्थ हैं या अस्वस्थ | विचारों का हमारे स्वस्थ पर सीधा प्रभाव पड़ता है अत:
हमेशा अच्छी सोच के साथ ही जीना चाहिए |
होम्योपैथी
चिकित्सा पद्यति की सफलता और विभिन्निता का कारण – हम अब तक ये तो
भली प्रकार समझ चुके हैं की विचार ही हमारे शरीर में रोग उत्पन्न करने का मुलभूत
कारण है अत: ये भी स्पष्ट है की जब तक हम अपने मानसिक स्तर को सही नहीं करेंगे तब
तक हम इन बीमारियों से छुटकारा नहीं पा सकते | एलोपैथिक चिकित्सा प्रणाली की
असफलता का मूलभूत कारण भी यही है, क्युकिं एलोपैथिक चिकित्सा में मानसिक लक्षणों
को महत्व नहीं दिया जाता | हम चाहे कितना भी इन्सुलिन के इंजेक्शन क्यूँ न लगवा
लें ये हमे मधुमेह से कभी छुटकारा नहीं दिला सकता, ये तो आप भी भलीं प्रकार जानते
हैं | इसका मूलभूत कारण ये है कि इन्सुलिन शुगर को तो नियंत्रित कर सकता है पर
शुगर को बढ़ाने वाले Stress Hormones जो हमारे
मस्तिष्क से निरंतर निकल रहे हैं उनको नहीं नियंत्रित कर पाता | ये इन्सुलिन हमारे
मस्तिष्क को नियंत्रित करने में असमर्थ रहता है और यही एलोपैथिक चिकित्सा कि
असफलता का कारण हैं |
यही कारण है कि
होम्योपैथी में मानसिक लक्षणों को प्रथम महत्व दिया जाता है | हम मरीज के मानसिक
स्तर के आधार पर दवा का निर्धारण करते हैं, यही कारण है कि होम्योपैथी में एक ही
बीमारी के अलग अलग मरीज में अलग अलग दवा होती है | जिस तरह हर व्यक्ति का मानसिक
स्तर अलग अलग होता है उसी प्रकार उसके मर्ज की दवा भी अलग अलग होती है |
होम्योपैथी में दवा के
निर्धारण में हम मरीज के मानसिक स्तर के साथ साथ उसकी पसंद-नापसंद, उसका भय, उसकी
प्रकृति (शीत या गर्म ), उसका पारिवारिक इतिहास, उसका खान पान, इत्यादि सारी बातों
का विशेष ध्यान रखते हैं |
डॉ. दीपांशु
शुक्ला
( बी.एच.एम.एस.,
डी.एन.एच.ई. )
संस्थापक – हैनीमैन
होलिस्टिक हेल्थ केयर
Sir depression ka ilaj homeopath me hai kya
ReplyDeleteYes, in homeopathy treatment of depression is present, with no side effects.
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